सतना: City से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भरजुना गांव में भरजुना देवी माता का प्रसिद्ध मंदिर है जो अपने भक्तों को नेत्रदान करती हैं। यह एक प्राचीन मंदिर है जो स्थानीय लोगों के लिए पवित्र माना जाता है। लोग मानते हैं कि मां के चरणों का जल आंखों में लगाने से उन्हें नेत्र ज्योति मिल जाती है। यहां की मां की प्रतिमा में 18 भुजाएं हैं, जो इसे बहुभुजा मंदिर के रूप में परिचित कराती हैं।
भक्तों को ‘नेत्रदान
माँ भरजुना एक प्रसिद्ध देवी हैं जो अंधों को आंख का वरदान देने के लिए जानी जाती हैं। उनके मंदिर में आने वाले भक्त उनके चरणों के नालों का जल आंखों में लगाते रहते हैं और इससे नेत्रों की ज्योति में वृद्धि होती है। पंडित जी का ने बताया कि जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती हैं, वे मां की ड्योढ़ी पर चांदी की आंखें भी दान कर जाते है।
भरजुना देवी मंदिर का प्राचीन इतिहास
भरजुना देवी मंदिर का प्राचीन इतिहास है। पुरानी कहानियों के अनुसार, यहां पहले कुंदनपुर नाम का एक गाँव था। यहां पर देवी रुक्मणी की पूजा होती थी, और यहां पर ही भगवान श्रीकृष्ण भी उनसे मिलते थे। इसी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का हरण किया था, जिससे यहां का महत्व और बढ़ गया।
मंदिर में वार्षिक नवरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण और भरजुना देवी की विशेष पूजा की जाती है। इस समय यहां पर बड़ा मेला लगता है, जिसमें लोग दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के पास एक छोटा बाजार है जहां पूजा सामग्री, चटाई, और अन्य प्रतिष्ठान उपलब्ध हैं।
समीपवर्ती गाँवों से भी लोग यहां आते हैं और मां के दर्शन करते हैं। वे अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भरजुना देवी के दर्शन करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं। यहां पर एक शांतिपूर्ण और प्राचीन वातावरण होता है जो लोगों को मानसिक शांति और आनंद प्रदान करता है।