मणिकर्णिका घाट बनारस शहर में है जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। बनारस शहर में 88 घाट हैं। हर घाट का अपना अलग महत्त्व है। अधिकांश घाट स्नान और पूजा अनुष्ठान घाट हैं, लेकिन एक घाट जिसमें दाह संस्कार किया जाता है उसकी खासियत यह है कि यहां 24 घंटे दाह संस्कार किया जाता है। यह एक ऐसा घाट है जहां शाम के बाद दाह संस्कार किया जाता है। माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद है कि यदि इस घाट पर किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो उसकी आत्मा की मोक्ष की यात्रा आसान हो जाती है। माता पार्वती जी का यंहा कर्ण फूल एक कुंड मैं गिर गया था कर्ण फूल ढूढ़ने का कार्य भगवान शंकर जी ने किया था इसलिए इस घाट का नाम मणिकर्णिका पड़ गया। स घाट पर प्रतिदिन 250 से 300 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
विशेषता: ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने माता सती का अंतिम संस्कार किया था, इसलिए इस घाट को महाश्मशान घाट भी कहा जाता है। मोक्ष की चाह रखने वाले लोग अपने जीवन के अंतिम चरण में यहां आना चाहते हैं क्योंकि यहां दाह संस्कार करने से उनकी आत्मा की मोक्ष की यात्रा आसान हो जाती है। इस घाट में श्मशान की होली खेली जाती है और इसी घाट पर मौत का आनंद भी लिया जाता है। स घाट पर प्रतिदिन 250 से 300 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) पर चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती।
मणिकर्णिका कुंड: यहां देवी पार्वती का कर्ण फूल कुंड में गिर गया कर्ण पुष्प को खोजने का कार्य भगवान शंकर ने किया था कर्णफूल के नाम पर इस घाट का नाम मणिकर्णिका हुआ।
मणिकर्णिका घाट का इतिहास: कहाँ जाता है जब राजा दक्ष प्रजापति (ब्रह्मा के पुत्रों में से एक) राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, जो देवी सती के पिता थे अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर देवी सती ने अपने प्राण त्याग दिए और अपने शरीर को आग के हवाले कर दिया। बनारस मैं और भी घाट है जिनका महत्व बहुत है लेकिन इस घाट की बात कुछ और है जहाँ लोग दूर दूर से death celebrate करने आते है