कालिंजर का किला | जिला बाँदा, उत्तर प्रदेश

2 Min Read

कालिंजर किला एक प्राचीन राजमहल और किला है जो उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह किला गंगा नदी के किनारे, चंदौली जिले में स्थित है और इसका इतिहास बहुत समृद्धि और रोमांच से भरा हुआ है।

कालिंजर किला का इतिहास: कालिंजर किला का नाम इसलिए है क्योंकि इसे 10वीं सदी में अफगान राजा महमूद ने अपने जीते जी को इस्लाम के लिए समर्पित कर दिया था, और इसका मतलब है “काले इलाही” या “काले देवता”। कालिंजर नगर के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं और यह नगर बहुत समय तक एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र रहा है।

कालिंजर किला की विशेषताएँ:

  1. स्थिति: कालिंजर किला गंगा नदी के किनारे स्थित है और इसकी स्थिति से यह सुंदर परिसर मिलता है।
  2. स्थापत्य शैली: कालिंजर किला का वास्तुकला एक मिश्रण है जिसमें हिन्दू, इस्लामी और अफगानी शैलियाँ हैं। इसमें मंदिर, मस्जिद, बागबानी, और सांस्कृतिक स्थल हैं।
  3. राजमहल: किले के अंदर एक बड़ा राजमहल है जिसमें बड़े आकर्षक कमरे और भव्य दरबार हैं।
  4. शक्तिपीठ: कालिंजर किला में एक शक्तिपीठ भी है, जो मां कालिका को समर्पित है। यहाँ के मंदिर में अनेक पूजाएँ और उत्सव होते हैं।

इतिहास की रोचक बातें:

  1. अलाउद्दीन ख़िलजी की चढ़ाई: 13वीं सदी में, दिल्ली सल्तनत के सुलतान अलाउद्दीन ख़िलजी ने कालिंजर को दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया।
  2. हेमचंद्र विक्रमादित्य की विजय: महाकवि माघ ने अपने काव्य “प्रभात” में कहा है कि हेमचंद्र विक्रमादित्य ने भी कालिंजर को जीता था।
  3. बहमनी सुलतानों का अधिकार: 14वीं सदी में, बहमनी सुलतानों ने कालिंजर को अपने अधिकार में लिया।
  4. संघर्ष और जीत की कहानी: कालिंजर की कई बार जीत-हार की कहानियां हैं, और इसका इतिहास भगवान और शक्ति की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है।

कालिंजर किला आज भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है

Share this Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version