Maa sharda maihar: आज भी हर सुबह आल्हा द्वारा सबसे पहले देवी माँ की पूजा किये जाने का प्रमाण मिलता है।

09 अप्रैल 2024 की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। जिसके कारण अभी से Maihar ki Maa sharda mandir को खूबसूरत तरीके से सजाने का कार्यक्रम शुरू हो चूका है।

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Maa sharda maihar: शारदा मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर गांव में स्थित है। जो सतना से मात्र 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। Maa sharda मातारानी के दरबार में जो भी भक्त अपने दिल से अपनी मनोकामना मांगता है maa sharda maihar wali उनकी हर कामना पूरी करती है एक दिन में हजारों की संख्या में लोग maihar ki Maa sharda मातारानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या हजारों से लाखों तक बढ़ जाती है। Maa sharda माता जी के महिमा के चर्चे दूर दूर तक विख्यात है माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं। 09 अप्रैल 2024 की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। जिसके कारण अभी से Maihar ki Maa sharda mandir को खूबसूरत तरीके से सजाने का कार्यक्रम शुरू हो चूका है।

Maa sharda maihar

माँ शारदा माता की कहानी

मैहर में माँ शारदा देवी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो मैहर के प्रसिद्ध त्रिकुट पर्वत पर जो जमीन से 600 फीट की ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। Maa sharda maihar की महिमा अलौकिक है यह माँ शारदा देवी का देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है जो काफी प्रसिद्ध यहाँ पर नवरात्रि के’ 9 दिन भक्तो की भीड़ काफ़ी ज्यादा होती है। लाखो संख्या में श्रद्धालु Maihar ki Maa sharda माता के दर्शन के लिए आते है। लोगो का मानना है की माँ शारदा माता की पहली पूजा गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।

मां शारदा देवी के दर्शन के लिए 1065 सीढ़ियों को चढ़कर मंदिर तक पहुँचना होता हैं, हालांकि, रोप-वे की सुविधा भी उपलब्ध है। जिसके लिए टिकट लेनी होती है मां शारदा देवी ने आल्हा की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अमर होने का वरदान दिया था। यहां के स्थानि लोगो और पुजेरी जी का कहना है की आल्हा द्वारा आज भी हर दिन सुबह सुबह मां की प्रथम पूजा करने के अलग-अलग कुछ न कुछ प्रमाण मंदिर में देखने को मिल ही जाते हैं। मां शारदा देवी के 1 किलोमीटर दुरी में आल्हा का मंदिर भी बना है, जहाँ उनका अखाड़ा, बगीचा, और तालाब मौजूद हैं।

नवरात्रि उत्सव

नवरात्रि शुरू होते ही Maa Sharda Maihar मंदिर को खूबसूरत तरीके से सज़ा दिया जाता है और आने वाले भक्तो के लिए जगह जगह पर पानी और रुकने की बेवस्था शासन प्रशासन दौरा कर दिया जाता है मंदिर के आसपास होटल, दुकानों के लिए नये नये नियम कानून निकले जाते है वैसे’हर दिन माँ शारदा देवी के दर्शन करने हज़ारो भक्त पहुंचते है लेकिन नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के समय भक्तो की संख्या हज़ार से लाखो तक पहुंच जाती है Maa Sharda देवी के दर्शन के लिए रात 12 बजे से ही लाइन लगना शुरू हो जाती है मंदिर पहुंचने से पहले हज़ारो संख्या में आपको दुकाने दिखेगी जहा से आप Maa Sharda मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रशाद, माला, फूल, अगरबत्ती और नारियल मिल जायेगा माँ शारदा माता के मंदिर तक पहुंचने के लिये 1065 सीड़ियों चढ़ना पड़ेगा चढ़ने के दौरान जगह जगह पर पीने वाली पानी की टंकी और बैठने की बेवस्था बनाई गई है जिससे यात्री को तकलीफ न हो आप दूसरे रस्ते से भी ऊपर जा सकते है रोपवे से जिसके लिये टिकट लेनी पड़ेगी। माता जी का जैकारा लागते हुये लोग ऊपर पहुंच ही जाते है

माँ शारदा माता की सुबह की पहली पूजा आल्हा करते है

आल्हा और ऊदल की कहानी हमें विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है और हमें उनके जीवन से कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। यह कहानी भारतीय इतिहास के एक ऐतिहासिक संघर्ष का प्रतीक है जो अद्भुत वीरता, साहस, और निष्ठा का परिचय देता है। आल्हा और ऊदल का जन्म बुंदेलखंड के महोबा के एक छोटे से गाँव में हुआ था। ये दोनों ही बचपन से ही साहसी प्रकार के पराक्रमी और धैर्यशील थे। उनकी वीरता और योद्धा कौशल ने उन्हें बुंदेलखंड के प्रमुख वीरों में शामिल किया।

आल्हा को मां शारदा के परम भक्त माना जाता है। मान्यता है कि मां ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था, आज भी मातारानी की पूजा करने जाते रहते है जिसके कारण वे अजेय हो गए। उनके नाम पर बने मंदिरों में लोग आज भी उन्हें पूजते हैं और उनकी कथाओं को गाते हैं।

आल्हा और ऊदल की गाथा उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मशहूर है। उनकी कहानी कानपुर, कन्नौज, और बुंदेलखंड जैसे कई स्थानों में सुनाई जाती है, जहां लोग आज भी उनके योद्धा धर्म का सम्मान करते हैं।

आल्हा और ऊदल को दसराज और दिवला का पुत्र माना जाता है, जो चंदेलवंशी राजा परमल के सेनापति थे। उनकी वीरता की कहानी हमें युद्ध का असली मतलब सिखाती है, जो साहस, समर्थता, और समर्पण का प्रतीक है।

आल्हा और ऊदल की कहानी हमें धर्म, समर्थता, और साहस के महत्व को समझाती है। उनकी कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें अपने आप पर विश्वास रखना और सहानुभूति का परिचय कराना चाहिए।

मैहर कैसे पहुंचे

ट्रेन द्वारा: मैहर का अपना रेलवे स्टेशन है, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जबलपुर, वाराणसी और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने शहर के हिशाब से ट्रिनो की जाँच कर सकते है और उसके अनुसार अपने टिकट बुक कर सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा: Maa sharda maihar आसपास के शहरों और कस्बों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप या तो अपना वाहन चला सकते हैं या सतना, जबलपुर या रीवा जैसे नजदीकी शहरों से बस ले सकते हैं। सड़कें आम तौर पर अच्छी स्थिति में हैं, जिससे यह यात्रियों के लिए एक सुविधाजनक विकल्प बन गया है।

बस द्वारा: सरकारी और निजी बसें सतना, जबलपुर, वाराणसी और अन्य आसपास के शहरों से मैहर के लिए नियमित सेवाएं संचालित करती हैं। आरामदायक यात्रा के लिए आप शेड्यूल की जांच कर सकते हैं और अपने टिकट पहले से बुक कर सकते हैं।

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